सोमवार, 17 अगस्त 2009

हाय गजब! कहीं तारा टूटा


तारों को ऊपरवाले ने होशियार हाथों से आसमान में चिपकाया है वे टूटते नहीं लेकिन जब टूटते हैं तो लोगों का दिल भी लूटते हैं। तारों का टूटना लोगों को कभी डराता है तो कभी आकर्षित करता है लेकिन खगोल-वैज्ञानिकों के लिए यह अध्ययन की वस्तु है। वे तारों के टूटने का समय पहले से जानकर उनके विषय में जानने के लिए तरह-तरह के उपकरणों से लैस होकर कर घंटों प्रतीक्षा करते हैं। ऐसा ही एक दिन था इमारात में विगत १२ अगस्त को जब लगभग १०० तारा-प्रेमी दुबई ऐस्ट्रोनॉमी ग्रुप के नेतृत्व में, आधी रात के बाद गहराते अंधेरे में तारों की बरसात देखने शहर से दूर रेगिस्तान के लिए निकले। शहर से दूर इसलिए कि दुबई की तेज़ रोशनी आकाश तक को इतना उजला बनाती है कि रात में भी तारे दिखाई नहीं देते।

रात एक बजे यह कारवाँ "दुबई हत्ता मार्ग" पर "मरगम" के शांत कोने में पहुँचा। अगस्त का महीना इमारात के लिए मौसम की दृष्टि से सुखद नहीं होता। बेहद गर्मी, उमस और हर समय रेत के तूफ़ान का डर- ऐसे में रेगिस्तान पर्यटकों और रेत-खेलों के शौकीनों के लिए भी बंद होता है, लेकिन आज का दिन विशेष था इसलिए सुरक्षा के विशेष प्रबंधों के साथ खगोल-वैज्ञानिकों और तारा-प्रेमियों का यह दल यहाँ आ पहुँचा। विशेष इसलिए कि सन २५८ के बाद से हर साल अगस्त के महीने में जब पृथ्वी पर्सियस के स्विफ़्ट ट्यूटल धूमकेतु की धूल के बादलों के बीच से गुज़रती है तब खुले काले आकाश में तारों की बरसात का अनोखा दृश्य देखने को मिलता है। हालाँकि तारों की बरसात जुलाई में शुरू हो चुकी थी लेकिन स्पष्ट दृश्य और साफ़ मौसम को ध्यान में रखते हुए १२ अगस्त के दिन का चुनाव किया गया। "मरगम" पहुँचते ही हवा कुछ चंचल हो उठी और ठहरे हुए धूल के कण जहाँ तहाँ समाने लगे पर आसमान शांत था और धीरे से उगते हुए चाँद ने सबको आकर्षित कर लिया। सदस्यों ने रेत पर अपने-अपने स्थान ग्रहण किए और टेलिस्कोप की नज़र आसमान की ओर मोड़ दी। दुबई ऐस्ट्रोनॉमी ग्रुप के अध्यक्ष हसन अहमद हरीरी ने तारों की अंतहीन दुनिया का परिचय दिया जबकि सबकी आँखें दूरबीन से नज़दीक खींचे गए आसमान पर टिकी रहीं।

अचानक एक तेज़ रोशनी चमकी और लकीर खींचती हुई गुम गई। आकाश पर आँखें गड़ाए लोगों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। फिर एक और रौशनी... फिर एक और... रुक रुक कर यह दृश्य बनता तो रहा लेकिन जिस तारों की बरसात का सपना लेकर लोग यहाँ पहुँचे थे वह लुका-छिपी ही खेलती रही, खुलकर सामने नहीं आई। समय बीतने लगा कुछ लोग १८० डिग्री दृश्य के लिए लेट गए। सहसा हल्की हवा शुरू हुई, शायद यह तेज़ हो जाने वाली थी। कुछ लोगों ने सुरक्षा की दृष्टि से कारों में चले जाना ठीक समझा पर कुछ सर्जिकल मास्क पहन मैदान में डटे रहे। धीरे-धीरे रेत, हवा और चाँदनी ने लोगों के आराम को छीनना शुरू किया तो गिने चुने बहादुरों को छोड़कर अधिकतर लोगों ने मैदान छोड़कर चले जाने में ही खैर समझी। कुल मिलाकर इस साल तारे तो टूटे पर हाय गज़ब! कहने को लोग तरसते ही रह गए। कोई बात नहीं अगस्त तो अगले साल फिर आनेवाला है। फ़िलहाल, आँखों देखे हाल के लिए प्रस्तुत है इस घटना का एक छोटा वीडियो टुकड़ा गल्फ़ न्यूज़ के सौजन्य से।

11 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

सही कहा आपने अगस्त तो अगले साल फिर आएगा ही...

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अच्छी पोस्ट!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

एक पुराना गीत याद आ गया

तारा टूटॆ, दुनिया देखे
देखा न किसी ने दिल टूट गया..

सुशीला पुरी ने कहा…

तारे का टूटना ......यानि मुरादों के पूरा होने की गारंटी
यहाँ यही मानते हैं लोग ....अब जब दुबई के लोग यह
मानना ही नही चाहते तो तारे कैसे दिखें ?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

dubai में ऐसा कुछ भी होता है पता नहीं था............ आपकी jaankaari का शुक्रिया ......... achhaa लगा jaankar ........ आपका aabhaar ........

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…

पूर्णिमा जी .. जब पूरा आकाश ही चोंच में है तो तारा टूटेगा ही ....और हाँ जैसा सुशीला ने कहा की शुभ होता है तारा टूटते समय कुछ मांगना .. आपने क्या माँगा ?

गौतम राजऋषि ने कहा…

आप का ये हर बार कुछ नया लेकर आना चमत्कृत करता है....दो-तीन बार पहाड़ों पर स्याह काली सुनसान रातों में तारे टूटते देखे हैं...और बेवकूफों की तरह ख्वाहिश माँगी है।

इस बार कार्यशाला के सब्जेक्ट पे कुछ शुरूआत ही नहीं हो पा रही है मैम!

Arshia Ali ने कहा…

Badhaayi ho, aapke blog ki charchaa aaj ke HINDUSTAN men huyi hai.
( Treasurer-S. T. )

Renu goel ने कहा…

जब जब हमने देखा एक तारा टूटा है , अपनी हज़ार ख्वाहिशो में से एक ख्वाहिश मांग ली पर और का क्या करते ...अब जब पता चला की हमारे आँगन में टूटे तारों की बारात सजेगी , सोचा सारी ख्वाहिशें पूरी कर लेंगे आज ...मांग लेंगे सब कुछ इन टूटे तारों से ...हाय ..किस्मत फिर दगा दे गयी ...आसमान पर बादल छाए रहे सारी रात ...फिर आँगन में पानी बरसा सारी रात

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

आदरणीय पूर्निमा जी ,
नमस्कार्।
हिन्दुस्तान अखबार मे रवीश कुमार दवारा की गयी आपके ब्लॉग की समीकशा पढी …बहुत अच्छा लगा॥ बहुत बहुत बधाई …।

Asha Joglekar ने कहा…

yahan Durham (NH) me bhee aisee hee news thee meteor showers kee par dekh nahee paye
Aapki bat padh kar yad aaya.